इस साल 13 फरवरी को सूर्योदय सुबह 6.26 बजे और त्रयोदशी तिथि रात्रि 10.22 बजे तक है। इसके बाद अद्र्धरात्रि को कृष्ण चतुर्दशी तिथि है। इस दिन उत्तराषाढ़ नक्षत्र सूर्योदय से रात्रि दोष 4.52 बजे तक और सिद्धि योग दिन में 2.52 बजे तक, उसके बाद व्यतिपात योग है। चंद्रमा की स्थिति मकर राशि पर है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिरात्रि कहते हैं। जिस दिन अर्धरात्रि में चतुर्दशी हो, उसी दिन महाशिवरात्रि का व्रत करना चाहिए।
त्रयोदशी के बाद यदि अद्र्धरात्रि में चतुर्दशी आ जाए तो उसी दिन शिवरात्रि होती है। इसलिए 13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि व्रत होगा। शिवरात्री बेसक 14 फरवरी तक मानायी जायेगी लेकिन शिव पूजन के लिए अतियोग 13 फरवरी को है। यदि आपके परिवार में कोई बीमार रहता है तो महाशिवरात्रि के दिन यानी 13 फरवरी को काले पत्थर के शिवलिंग का दूध और घी से अभिषेक करें। इसके बाद शिवलिंग पर सवा पाव अक्षत अर्पित करें और महामृत्युंजय मंत्र के 11 माला जाप करें। फिर शिवलिंग पर से थोड़ा सा अक्षत लेकर उसे सफेद कपड़े में बांधकर रोगी के सिरहाने रखें। उसके ठीक होते ही सिरहाने रखी अक्षत की पोटली किसी नदी या तालाब में बहा दें।
शिवरात्रि पर भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक किया जाए तो धन की कमी दूर हो जाती है सम्मान, प्रतिष्ठा पद के लिए यदि आप नौकरी में तरक्की पाना चाहते हैं तो शिवरात्रि पर केसर के दूध से शिवजी का अभिषेक करें। वाहन दुर्घटनाओं से बचने के लिए शिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर 1008 बेलपत्र और 1008 धतूरे चढ़ाएं। शत्रु हानि पहुंचाने रहे हैं तो शत्रु का नाम लेते हुए शिवलिंग पर काले तिल और उड़द अर्पित करें। शिवरात्रि से प्रारंभ करते हुए 21 दिनों तक शिवलिंग पर रोज जल चढ़ाएं। शाम के समय शिवमंदिर में दीपक जलाएं। ')}