उत्तराखंड को वीरों की भूमि ऐसे ही नहीं कहा जाता । यहां हर दूसरे व्यक्ति का सपना होता है कि वो सेना में भर्ती हो जाए और देश की सेवा करने का उसे मौका मिले। फिर भी बहुत कम लोगों का यह सपना पूरा हो पता है।
एक पिता की चाहत थी कि वे सेना में जाएं, लेकिन वो सेना में भर्ती नहीं हो सके, लेकिन 27 साल बाद बेटे को वर्दी में देख पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। हल्द्वानी के तीन पानी अशोक विहार निवासी मयूर नगरकोटी शनिवार को अफसर बन गए। मयूर के पिता गोविंद सिंह नगरकोटी परिवहन विभाग में लिपिक के पद पर तैनात हैं।
गोविंद सिंह कहते हैं कि वे खुद सेना में भर्ती होना चाहते थे, लेकिन किन्हीं कारणों से यह सपना पूरा नहीं हो पाया। इसके बाद परिवहन विभाग में नौकरी कर ली। हालांकि उनके पिता नाथू सिंह व तीनों भाई हरेंद्र नगरकोटी, देवेंद्र नगरकोटी और साकेत सिंह नगरकोटी सेना में रहे।अफसर बनने के बाद बेटे मयूर ने उनका सपना पूरा कर दिया है।
लेफ्टिनेंट मयूर के बड़े भाई विशाल इसरो में यांत्रिक अभियंता है और बहन कीर्ति पंतनगर विवि से पीएचडी कर रही हैं। मयूर इतने मेहनती हैं और जाबाज अफसर बने हैं कि उन्हें बेस्ट इन ड्रिल कैडेट पुरस्कार भी मिला। अपने पोते को अफसर बनते देख दादा भी ख़ुशी जाहिर करने से खुद को नहीं रोक सके, दादा ने कहा कि सेना में तो हमारा पूरा परिवार ही लेकिन पोते को अफसर बनता देख मेरा सपना पूरा हो गया।
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