प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को अवकाश का दिन होने की वजह से निकटवर्ती प्राथमिक विद्यालय गांजा ज्योलीकोट में तीसरीे कक्षा में पढ़ने वाली 7 वर्षीया छात्रा जया पुत्री राजेश कुमार अपने नैनीहाल सिमलखेत में घर के बाहर खेल रही थी, तभी एक वयस्क गुलदार आया और उसे उठा ले गया। उसकी दो बड़ी बहनों व अन्य बच्चों ने शोर मचाया, बावजूद गुलदार उसे साथ ले जाता चला गया।
आखिर ग्रामीणों की खोजबीन के दौरान करीब डेढ़ घंटे बाद एक किमी दूर गुलदार द्वारा नोंचा गया बच्ची का शव बमुश्किल मिल पाया। इस पर आक्रोशित ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान हिमांशु पांडे व उप प्रधान मनोज चनियाल आदि की अगुवाई में डीएफओ को मौके पर बुलाने की मांग करते हुए बच्ची के शव के साथ हल्द्वानी-नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगा दिया।
डीएफओ डा. मीणा के पहुंचने व मौके पर ही 50 हजार रुपए का नगद मुआवजा देने तथा आगे पोस्टमार्टम रिपोर्ट व अन्य औपचारिकताओं के बाद शेष ढाई लाख मुआवजा और मृतका की मां को वन विभाग के अंतर्गत जंगलों की आग बुझाने जैसे अस्थाई कार्यों के जरिये रोजगार देने की घोषणा की। इसके बाद जाम खोलकर पोस्टमार्टम की औपचारिकता पूरी की गयी।
आपको बता दें कि राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड राज्य में अब तक 600 से अधिक लोग वन्य जीवों से हुए संघर्ष में अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 1200 से अधिक जख्मी हो चुके हैं। इनमें से 2014 तक के आंकड़ो के अनुसार सर्वाधिक 241 लोगों की मौत गुलदारों के द्वारा, 107 लोगों की मौत हाथियों के द्वारा, 19 की भालुओं के द्वारा, तीन की जंगली सुअरों व 16 की बाघ के द्वारा की गई थी। इस साल बाघों के मामले में आंकड़े काफी आगे बढ़ चुके हैं।
गुरूवार से हो रहे गुलदार के हमलों में ये छटा मामला सामने आया जिसमे बच्ची की मौत हो गए जबकि पहले सभी घायल हुए थे। ')}