उत्तराखंड से बेहद चौकाने वाली खबर सामने आ रही है, चारधाम यात्रा को सुलभ बनाने के लिए ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के कार्य पर एनजीटी ने रोक लगा दी है। एनजीटी का कहना है कि, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री को मिलाने वाली चारधाम हाइवे परियोजना को अलग-अलग टुकड़ों में बांटकर काम किया जा रहा है। जिसका कि एनजीटी से कोई परमिशन नहीं लिया गया है, जबकि 100 किमी से जादा वन क्षेत्र के काटे जाने पर यह जरूरी होता है।
खबर फैलने के बाद से ही कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोल दिया है। विपक्ष पहले भी इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेर चुकी है लेकिन बीजेपी श्रेय लेने के चक्कर में ऐसा कर रही थी, वहीं बीजेपी ने कहा है कि अगर विकास कार्य करना है तो नुक्सान तो होना ही है लेकिन इस मामले में पूरी तरीके से नियमों की पैरवी की जाएगी। एनजीटी के साथ हमेशा ही विवाद रहता है इसे सुलझा दिया जाएगा।
आपको बता दें कि कार्य पर अगली सुनवाई तक रोक लग गयी है एनजीटी ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय अन्य पक्षों से कहा है कि वे अगली सुनवाई तक स्पष्ट जवाब दाखिल करें। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ऑल वेदर रोड को लेकर याचिका लगाई गई है।
याचिका में आरोप लगाया है कि निर्माण स्थल पर चारधाम हाइवे परियोजना के कामकाज का बोर्ड लगा है, लेकिन परियोजना निर्माण की मंजूरी वाले दस्तावेजों में ऐसा कुछ नहीं है। वन क्षेत्र में 356 किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण का काम किया जा चुका है, जिसके लिए 25,303 पेड़ काटे जा चुके हैं, सड़क परियोजना में वन मंजूरी ली गयी लेकिन पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन और पर्यावरण मंजूरी नहीं ली गयी है। आगे भी कई पेड़ काटे जाने हैं। क्योंकि अभी 544 किलोमीटर हाइवे का निर्माण शेष है। महीने दो महीने के कार्य पर रोक लगने से चार धाम यात्रा पर इसका काफी असर पड़ेगा। ')}