डोईवाला का लच्छीवाला नेचर पार्क जिले ही नहीं राज्य का मुख्य पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो रहा है। यही कारण है कि पर्यटकों की हर वर्ष आने वाली लाखों की भीड़ रिकार्ड तोड़ रही है। इससे न सिर्फ पर्यटन को बढावा मिल रहा है। बल्कि वन विभाग को हर साल लाखों की आमदनी भी हो रही है।
यदि पिछले दो सालों की बात करें तो पिछले दो वर्ष में यहां साढे पांच लाख से अधिक पर्यटक जंगलों की ठंड़ी छॉव व सौंग नदी पर बनाई झील में नहाने आए हैं। वर्ष 2017-18 में लच्छीवाला में कुल 255037 पर्यटक आए हैं। 2018-19 में ये आंकड़ा बढकर 276822 तक पहुंच गया था। जबकि इस वर्ष अब तक कुल 38562 पर्यटक लच्छीवाला नेचर पार्क का लुत्फ उठाने यहां आ चुके हैं।
यदि कमाई की बात करें तो पिकनिक स्पॉट की कैंटीन से वर्ष 2017-18 में वन विभाग को कुल 930000 रूपए की कमाई हुई है। 2018-19 में 76500 रूपए और 2019-20 में कुल 815000 रूपए की कमाई हुई है।
नेचर पार्क की पार्किंग से 2017-18 में कुल 1393000 रूपए और 2018-19 में 1314580 रूपए और 2019-20 में कुल 1010000 की कमाई हुई है। पैडल वोट से 2018-19 में 145000 और 2019-20 में 196000 रूपए की कमाई वन विभाग को हुई है।
प्रवेश शुल्क के रूप में पिछले दो वर्षो में 4916378 व 5320210 रूपए और इस वर्ष 755900 रूपए की कमाई हुई है। मार्ग साधारण शुल्क के रूप में पिछले दो वर्षो में 677354 व 823209 रूपए वसूले गए हैं। तैरने की ट्यूब से पिछले दो वर्षो में 265000, 305000 व 455000 रूपए की कमाई हुई है।
यदि जिले व प्रदेश के छोटे-छोटे स्थानों को लच्छीवाला की तर्ज पर विकसित किया जाए तो पूरा प्रदेश पर्यटक हब के रूप में विकसित हो सकता है। लच्छीवाला वन रेंज के रेंजर घनानंद उनियाल ने कहा कि समर सीजन में खासकर रविवार के दिन पर्यटको की संख्या दस हजार का आंकड़ा भी पार कर लेती है। जिससे अच्छे राजस्व की प्राप्ति होती है।
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