उत्तराखंड देवो की भूमि कहलाती है कहते हैं यहां 33 करोड़ देवी देवताओं का निवास है, यहां लाखों मंदिर हैं इसी कड़ी में यहां एक ऐसा मंदिर भी है , जिसके कपाट साल में बस एक बार रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं। इस वजह से भगवान बंशीनारायण के इस मंदिर में केवल एक ही दिन पूजा होती है।
ये मंदिर समुद्रतल से बारह फीट की ऊचाई पर है। रक्षाबंधन पर आसपास के इलाकों में रहने वाले बहनें भगवान बंशीनारायण को राखी बांधती है। इसके बाद ही भाइयों की कलाई पर प्यार की डोर बांधती हैं। सूर्यास्त होते ही मंदिर के कपाट एक साल के लिए फिर से बंद कर दिए जाते हैं।
चमोली जिले के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित इस दस फुट ऊंचे मंदिर में भगवान चतुर्भज की मूर्ति विराजमान है। परंपरा के अनुसार मंदिर के पुजारी राजपूत हैं। पुजारी पुराण का हवाला देते हुए बताते हैं कि बामन अवतार धारण कर भगवान विष्णु ने दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर करके उसे पाताल लोक भेजा था।
तब बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया। इस पर विष्णु भगवान स्वयं पाताल लोक में बलि के खरपाल हो गए। ऐसे में पति को मुक्त कराने के लिए देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि को राखी बांधकर भगवान को मुक्त कराया।
मान्यता है कि पाताल लोक से भगवान यहीं प्रकट हुए थे। भगवान को राखी बांधने से स्वंय भगवान हरि उनकी रक्षा करते हैं। ')}